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अन्न माँ अन्नपूर्णा टिफिन सेवा

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ना हाथ ना पैर फिर भी लगाया तीर निशाने पर।



All India tv news। सफलता हाथ पैरों की मोहताज नहीं, बस इरादों में जान होनी चाहिए। 

ओडिशा की 17 वर्षीय पैरा तीरंदाज पायल नाग ने जयपुर में आयोजित छठी राष्ट्रीय पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप 2025 में दो स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। पायल ने कंपाउंड ओपन स्पर्धा में शीतल देवी को हराकर खिताब अपने नाम किया और दुनिया की पहली ऐसी तीरंदाज बनीं जिन्होंने इस

स्थिति में राष्ट्रीय स्तर पर दोहरा स्वर्ण हासिल किया।

पायल की प्रेरणादायक कहानी:-

पायल का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। बचपन में एक हादसे में अपने चारों अंग खोने के बावजूद, उन्होंने तीरंदाजी में महारत हासिल की। दो साल पहले तक उन्हें इस खेल की जानकारी नहीं थी, लेकिन कोच के मार्गदर्शन और शीतल देवी के वीडियो से प्रेरित होकर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।

पदक जीतने के बाद पायल का आत्मविश्वास:-

पदक जीतने के बाद पायल ने बताया कि पहले वे कृत्रिम पैरों के सहारे तीर चलाती थीं, लेकिन अब आत्मविश्वास और कोच के भरोसे के साथ उन्होंने यह उपलब्धियां हासिल कीं। पायल का लक्ष्य अब देश के लिए पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है।

शीतल देवी के साथ प्रतिस्पर्धा:-

हालांकि, खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में शीतल देवी ने पायल को 109-103 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। इस हार के बावजूद पायल ने हार नहीं मानी और अपनी तकनीक में सुधार कर राष्ट्रीय पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।

पायल की उपलब्धि का महत्व:-

पायल की उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पायल की सफलता साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कुछ भी असंभव नहीं है। 

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