All India tv news। रामनगर अस्पताल में स्वास्थ्य तंत्र की संवेदनहीनता का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक मरीज के इलाज के बाद मौत हो जाने के बाद, शव को पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने शव वाहन की सुविधा नहीं दी। मजबूरन, परिजनों को शव को ई-रिक्शा में रखकर पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाना पड़ा।
ऐसे मामले न केवल रामनगर में बल्कि अन्य शहरों में भी सामने आ चुके हैं। कुछ ऐसा ही मामला बदायूं में भी देखा गया था, जहां एक महिला की मौत के बाद उसके शव को परिजनों ने ई-रिक्शा पर ले जाना पड़ा था, क्योंकि अस्पताल प्रशासन शव वाहन उपलब्ध नहीं करा सका था।
क्या है मामला?
मामला रामनगर के एक अस्पताल का है, जहां मरीज को इलाज के लिए लाया गया था। इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने शव को पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने के लिए कोई सुविधा नहीं दी, जिससे परिजनों को शव को ई-रिक्शा में ले जाना पड़ा।
*प्रशासन की प्रतिक्रिया*
ऐसे मामलों में प्रशासन की प्रतिक्रिया आमतौर पर जांच और कार्रवाई की बात कहकर होती है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक स्वास्थ्य तंत्र में ऐसी लापरवाही और असंवेदनशीलता बर्दाश्त की जाएगी?
*स्वास्थ्य तंत्र में सुधार की जरूरत*
ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य तंत्र में सुधार की सख्त जरूरत है। अस्पतालों में शव वाहनों की व्यवस्था होनी चाहिए और स्वास्थ्य कर्मियों को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए ताकि वे अपने काम को पूरी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से कर सकें।