All India tv news। एक ऐसी महिला की कहानी जो अपने दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास से अंधकार को भी रोशन कर रही है। मात्र 9 साल की उम्र में अपनी दृष्टि खो देने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष जारी रखा। आज वह भारत की पहली नेत्रहीन महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट बनकर एक मिसाल कायम कर चुकी हैं।
दृष्टि खोने के बाद भी नहीं मानी हार :-
दृष्टि खोने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने ब्रेल लिपि सीखी और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
आत्मविश्वास और हौसले की जीत :-
यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह बताती है कि आत्मविश्वास और हौसले के साथ, कोई भी चुनौती पार की जा सकती है।
प्रेरणा का स्रोत :-
उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह बताती है कि असंभव कुछ भी नहीं है, बस हौसला और आत्मविश्वास की जरूरत है।