" होली के रंग, गुझिया के संग" लेकिन ये गुझियाआई कहां से ? आइये जाने इसकी रोचक कहानी।



 All India tv news। गुझिया एक ऐसी मिठाई है जिसके बिना होली का रंग फीका-फीका सा लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई, कैसे ये मिठाई इतनी प्रसिद्ध हुई ?

तो आइये इसके रोचक इतिहास के बारे में जानते हैं। पुरानी कहावत के अनुसार प्राचीन भारत में इसे सूखे मेवों और शहद से बनाया जाता था जिसे ‘करणिका’ कहा जाता था। यह मिठाई खास अवसरों पर बनाई और परोसी जाती थी। इस मिठाई के निशान मौर्य काल से भी प्राप्त होते हैं। 

इसके अलावा 13वीं शताब्दी में गुड़ और शहद के मिश्रण को गेहूं के आटे में लपेटकर धूप में सुखाकर बनाये जाने के संकेत मिलते हैं। 

मुगल काल में इसमें खोया (मावा) डालकर बनाने की शुरुआत की गई। इस समय गुझिया ने मिठाइयों में अपनी अनोखी पहचान बना ली।

होली के साथ गुझिया का रिश्ता इसलिए भी है क्योंकि यह मिठाई भगवान कृष्ण की पसंदीदा मिठाई मानी जाती है। जिसकी वजह से वृंदावन और मथुरा में होली के अवसर पर भगवान कृष्ण को का भोग लगाया जाता हैं। होली के साथ साथ दिवाली जैसे त्योहारों पर भी गुझिया उपहार के तौर पर दी जाती है।


गुझिया कई प्रकार से बनाई जाती है। इसे खोये, मेवों, सूजी और नारियल आदि भरकर बनाया जाता है। बेक्ड गुझिया कम तेल में बने होने के कारण हेल्दी भी होती है। केसर की खुशबू और शाही स्वाद से बनी केसर गुझिया होती है। चंद्रकला और सूर्यकला गुझिया गोल आकार की बनी होती है। 

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