"फूल देई, छम्मा देई" उत्तराखंड में फूल देई क्यों मनाई जाती है, क्यों है इतनी खास!




All India tv news। उत्तराखंड में मनाया जाने वाला फूल देई वसंत ऋतु का स्वागत करने का एक जीवंत फसल उत्सव है। यह उत्सव हिंदू वर्ष के चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है। कहीं कहीं यह त्यौहार पूरे महीने तक भी चलता है। 

इस उत्सव पर बच्चे, जिन्हें "फुलारी" कहा जाता है, जंगलों से फूल इकट्ठा करते हैं और उन्हें घरों के दरवाज़े ( देहरी ) पर चढ़ाते है। देहरी पर फूल चढ़ाते समय समृद्धि की कामना करते हुए गीत गाते हैं।

यह परंपरा अनेक स्थानीय लोककथाओं को अपने में समेटे हुए है, लेकिन विशेष रूप से राजकुमारी गोगा की कहानी प्रसिद्ध है। जिनके प्रकृतिप्रेमी के कारण बच्चों द्वारा सौभाग्य के लिए फूल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई। यह त्यौहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ ही स्थानीय परंपराओं से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है।

इसके अलावा फूल देई निम्न कारणों से भी महत्वपूर्ण उत्सव माना जाता है। 


# वसंत ऋतु का स्वागत:-

           यह राज्य में बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए एक फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है।


# प्रकृति के प्रति कृतज्ञता :-

         यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक लोक उत्सव है। 


# समृद्धि :-

        बच्चे घरों में समृद्धि लाने के लिए गीत गाते हुए घरों की दहलीज पर फूल डालते हैं। 


# सांस्कृतिक संरक्षण :-

       यह त्यौहार लोकगीत , मान्यताओं और परम्पराओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करने के साथ ही लोगों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करता है।


# समय :-

       यह उत्सव तब मनाया जाता है जब पहाड़ों पर बर्फ पिघल जाती है और चारों ओर की पहाड़ियाँ रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती हैं। यह समय पूरे क्षेत्र के लिए खुशी का समय होता है।

https://youtube.com/shorts/r5nhen-TzdU?si=UOnOl-Rlx9-oW8ss


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