भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा नरसिंह अवतार।

 



 


All India tv news।  भगवान नरसिंह विष्णु के चौथे अवतार हैं, जो आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य अधर्म के प्रतीक दैत्य हिरण्यकश्यप का वध करना था, जो अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोकना चाहता था। भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को मारने के लिए नरसिंह अवतार लिया था क्योंकि हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा से एक वरदान प्राप्त किया था, जो उसे लगभग अमर बना देता था। इस वरदान के अनुसार, हिरण्यकश्यप का वध न तो दिन में हो सकता था, न रात में, न घर के अंदर, न घर के बाहर, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न किसी जीव द्वारा, न किसी अस्त्र द्वारा।

नरसिंह अवतार का उद्देश्य :-

भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर इस वरदान की शर्तों को पूरा किया और हिरण्यकश्यप का वध किया। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए, जो न तो पूरी तरह से मानव थे और न ही पूरी तरह से पशु।

वरदान की शर्तों के अनुसार :-

भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए एक अद्वितीय तरीका अपनाया:

समय : संध्या के समय, जब न तो दिन था और न रात।

स्थान : घर की दहलीज पर, जो न तो घर के अंदर थी और न घर के बाहर।

रूप : भगवान नरसिंह ने अपने जांघों पर हिरण्यकश्यप को बिठाकर अपने नाखूनों से उसका पेट चीरकर आंतड़ियाँ बाहर निकाल दीं, जो न तो किसी जीव द्वारा था और न किसी अस्त्र द्वारा।

इस तरह, भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और धर्म की स्थापना की।

भगवान नरसिंह की पूजा करने के लिए कई मंत्र हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं :-

"ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्" : भगवान नरसिंह की सबसे प्रसिद्ध मंत्र।

"नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्" : भगवान नरसिंह की स्तुति करने के लिए उपयोग किया जाने वाला मंत्र।

भगवान नरसिंह की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, साहस और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

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