उत्तराखंड के अतिथि शिक्षकों की व्यथा: समान काम, लेकिन सम्मान और सुविधा नहीं।

 



All India tv news। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों की स्थिति दयनीय है। साल 2015 से कार्यरत इन शिक्षकों को 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी नियमितीकरण की आस है, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

क्या है समस्या?

अतिथि शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तरह ही काम करना पड़ता है, लेकिन उन्हें न तो समान वेतन मिलता है और न ही अन्य सुविधाएं। उनका मानदेय इतना कम है कि उन्हें अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, उन्हें कोई भत्ता नहीं मिलता है और न ही उन्हें बोनस दिया जाता है।

कितनी बड़ी समस्या?

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की संख्या काफी अधिक है। ये शिक्षक न केवल पढ़ाई का काम करते हैं, बल्कि अन्य विभागीय कार्यों में भी योगदान देते हैं। इसके बावजूद, उन्हें नियमित शिक्षकों की तरह सम्मान नहीं मिलता है।

क्या है मांग?

अतिथि शिक्षकों की मांग है कि उन्हें नियमित किया जाए और समान वेतन दिया जाए। वे चाहते हैं कि उनकी सेवा शर्तें नियमित शिक्षकों की तरह हों और उन्हें भी अन्य सुविधाएं मिलें।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की समस्या का समाधान निकालना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्हें नियमित करने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

क्या है सरकार का जवाब?

सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई ठोस जवाब नहीं आया है। सरकार ने अतिथि शिक्षकों की मांगों पर विचार करने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

अब आगे क्या?

अब देखना यह है कि सरकार अतिथि शिक्षकों की मांगों पर कब तक विचार करती है और उनके लिए क्या कदम उठाती है। फिलहाल, अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं और सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।


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