All India tv news। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों की ख़बरें तो आम हैं, लेकिन आज एक ऐसी ख़बर आई है जो सांस्कृतिक सेतु की उम्मीद जगाती है। आज़ादी के 77 साल बाद, पाकिस्तान के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ने अपने परिसरों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई फिर से शुरू की है।
पाकिस्तान में अकादमिक जगत के भीतर एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा जा रहा है। देश के प्रमुख संस्थानों में से एक, लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने छात्रों के लिए एक बिल्कुल नया संस्कृत भाषा पाठ्यक्रम शुरू किया है।
यह पहल इसलिए भी ख़ास है क्योंकि 1947 में पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद यह पहली बार है जब किसी पाकिस्तानी विश्वविद्यालय में नियमित रूप से संस्कृत पढ़ाई जा रही है।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने बताया कि इस यात्रा की शुरुआत महज़ एक वीकेंड वर्कशॉप के रूप में हुई थी, जिसमें छात्रों ने ज़बरदस्त दिलचस्पी दिखाई। इसी उत्साह को देखते हुए, अब इसे चार क्रेडिट वाले एक पूर्णकालिक (full-time) कोर्स में बदल दिया गया है।
प्रबंधन विज्ञान के इस बड़े संस्थान में, जहां आमतौर पर बिज़नेस और टेक्नोलॉजी की पढ़ाई होती है, वहां संस्कृत का कोर्स शुरू होना, भाषाई और सांस्कृतिक विरासत के प्रति एक नए सिरे से पैदा हुई रुचि को दर्शाता है।
विश्वविद्यालय की योजनाएं यहीं नहीं रुकतीं। प्रबंधन का कहना है कि भविष्य में छात्रों के लिए संस्कृत साहित्य के दो सबसे बड़े और महत्वपूर्ण ग्रंथों—महाभारत और भगवद् गीता—पर आधारित नए और विशेष पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे।
यह कदम दोनों देशों के बीच साझा प्राचीन इतिहास और विरासत को समझने की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है।

