All India tv news। उत्तराखंड के माध्यमिक विद्यालयों कि स्थिति को लेकर धामी सरकार पर प्रतिपक्ष नेता यशपाल आर्य ने सीधा निशाना साधा है।राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में विगत 10 वर्षों से राज्य के दुर्गम से अति दुर्गम क्षेत्रों में पढ़ा रहे 4600 से अधिक अतिथि शिक्षकों के भविष्य को अधर में लटका दिया गया है। उनका कहना है कि प्रदेश के इंटर कालेजों में प्रधानाचार्यों के 1108 पद खाली हैं। इसी प्रकार हाई स्कूलों में भी प्रधानाध्यापकों के 801 पद खाली हैं। उन्होंने सरकार को इन पदों पर नियुक्ति के साथ ही अतिथि शिक्षकों को स्थाई नियुक्ति देने के लिए ठोस नीति बनाने की सलाह दी है। अंधेरे में है।प्रधानाचार्यो को लेकर धामी सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि उत्तराखंड के माध्यमिक विद्यालयों में 10 सालों से पढ़ा रहे 4600 अतिथि अघ्यापकों का भविष्य अंधेरे में है। राज्य के इंटर कालेजों में प्रधानाचार्यों के 1108 पद खाली है। साथ ही उन्होंने अतिथि शिक्षकों को स्थाई नियुक्ति देने के लिए ठोस नीति बनाने की सलाह दी है।
यशपाल आर्य के अनुसार माध्यमिक विद्यालयों में लैक्चररों के 4745 पद तथा सहायक अध्यापकों के 3055 पद रिक्त हैं। इन अध्यापक विहीन विद्यालयों की इज्जत अतिथि शिक्षकों ने बचा रखी है। फिर भी इन अतिथि शिक्षकों का अपना भविष्य अंधकार में है।
इस बढ़ती महंगाई के दौर में मात्र 25 हजार के मानदेय पर ये अतिथि शिक्षक स्थायी शिक्षकों के बराबर ही कार्य कर रहे हैं। लेकिन सरकार द्वारा इन्हें ग्रिष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश का मानदेय ना देकर इनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। दस साल इस विभाग को देने के बाद भी अतिथि शिक्षक बार-बार प्रभावित होने, अल्प मानदेय मिलने और दीर्घावकाश का मानदेय काटे जाने की वजह से मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।
इसके साथ ही अधिकतम अतिथि शिक्षक नौकरी के लिए आवश्यक 42 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। जबकि कुछ तो दो-चार साल बाद 60 साल की रिटायरमैंट की उम्र तक भी पंहुच जायेंगे। उन्होंने सरकार से वर्षों से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को स्थाई नियुक्ति देने के लिए एक ठोस और स्पष्ट नीति बनाने की अपील की है।
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