शारीरिक अक्षमता फिर भी लक्ष्य को किया प्राप्त।

 


 


All India tv news। झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के बरांगा गांव में एक अनोखी मिसाल पेश की है गुलशन लोहार ने। गुलशन का जन्म बिना हाथों के हुआ है, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। गुलशन ने पैरों का उपयोग करके न केवल अपने जीवन को सामान्य बनाया है, बल्कि वे अब एक स्कूल में हाई स्कूल के छात्रों को पढ़ाने का काम भी करते हैं।

गुलशन की कहानी :-

गुलशन लोहार का जन्म बरांगा गांव में हुआ था। जब वह तीन साल के थे, तब उनकी मां ने उनकी विशेष जरूरतों को समझते हुए उन्हें अपने पैरों से काम करने का तरीका सिखाना शुरू किया। गुलशन की मां ने उन्हें अपने बाएं पैर के अंगूठे और दूसरी उंगली के बीच फंसाकर लकीर खींचने का अभ्यास करवाना शुरू किया। धीरे-धीरे गुलशन ने अपने पैरों से लिखना सीख लिया और आज वे एक स्कूल में शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं।

शिक्षक के रूप में गुलशन :-

गुलशन लोहार बरांगा गांव के एक स्कूल में हाई स्कूल के छात्रों को पढ़ाते हैं। वे ब्लैकबोर्ड पर पैरों से लिखकर छात्रों को पढ़ाते हैं। गुलशन की यह अनोखी क्षमता और उनका जज्बा छात्रों और शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

गुलशन की प्रेरणा :-

गुलशन की कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपनी शारीरिक अक्षमताओं के कारण अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाने की सोचते हैं। गुलशन ने साबित किया है कि अगर दृढ़ संकल्प और मेहनत हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, चाहे वह शारीरिक अक्षमता ही क्यों न हो।

सामाजिक संदेश :-

गुलशन लोहार की कहानी समाज को यह संदेश देती है कि शारीरिक अक्षमता किसी भी व्यक्ति को उसके लक्ष्यों से नहीं रोक सकती। गुलशन का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत के साथ, कोई भी चुनौती पार की जा सकती है और सफलता हासिल की जा सकती है।

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