चमोली में भालू का हमला: 42 वर्षीय महिला गंभीर रूप से घायल — पहाड़ों में वन्यजीव आतंक पर फिर उठे सवाल।


 


All India tv news। उत्तराखंड के चमोली ज़िले के पोखरी ब्लॉक स्थित पाव गांव की रहने वाली 42 वर्षीय रामेश्वरी देवी रोज की तरह घास लेने जंगल गई थीं। लेकिन शाम तक घर न लौटने पर परिजन घबरा गए। गांव वालों के साथ खोज शुरू हुई लेकिन घना अंधेरा होने के कारण रात में तलाश रोकनी पड़ी।

अगली सुबह जब खोज फिर शुरू हुई, तो गांव वाले जंगल की 70–80 मीटर खड़ी ढलान पर एक पेड़ के नीचे पहुँचे, जहां रामेश्वरी देवी खून से लथपथ, बुरी तरह ज़ख्मी अवस्था में मिलीं। भालू ने उनका चेहरा बुरी तरह नोंच लिया था, शरीर के कई हिस्सों में गहरे घाव थे। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात — वह ज़िंदा थीं।

बताया जा रहा है कि हमले के बाद पूरी रात वह तड़पती रहीं, डर के साये में किसी तरह पेड़ के पास छिपकर अपनी जान बचाई। गंभीर हालत में उन्हें पहले पोखरी CHC लाया गया, जहां डॉक्टरों ने स्थिति नाज़ुक देखते हुए तुरंत AIIMS ऋषिकेश रेफर कर दिया।

 सवाल जिनके जवाब आज भी गायब:

▪ क्या उत्तराखंड में बढ़ते भालू और गुलदार के हमलों को रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति है?

▪ वन विभाग की तकनीकी टीम, सुरक्षा उपकरण और मॉनिटरिंग सिस्टम का ज़मीनी हाल क्या है?

▪ सरकार की ‘घस्यारी योजना’ का क्या हुआ, जो महिलाओं को इस तरह के जोखिम से बचाने के लिए लाई गई थी?

लोगों में डर इतना है कि महिलाएँ घास लेने तक नहीं जा पा रहीं, बच्चे स्कूल जाने से घबराते हैं, और ग्रामीण हर कदम डर के साये में उठा रहे हैं। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मीटिंग्स, औपचारिकताएं और पटाखे फोड़ने जैसी अस्थायी व्यवस्थाएं ही दिखाई देती हैं।

अब बड़ा सवाल :—

क्या सरकार और वन विभाग तब जागेंगे, जब तक कोई बड़ी त्रासदी न हो जाए?

हम इस मामले पर विभागीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया भी जानने की कोशिश कर रहे हैं।