All India tv news। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति (SC) की महिलाओं के आरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि वे महिलाएं जो विवाह के बाद उत्तराखंड में आकर बसती हैं, वे राज्य में एससी श्रेणी के तहत आरक्षण लाभ की पात्र नहीं होंगी।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह व्यवस्था दी। याचिकाकर्ता महिला ने अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र और उसके आधार पर सरकारी नौकरी में आरक्षण की मांग की थी। महिला मूल रूप से दूसरे राज्य की निवासी थी और विवाह के बाद उत्तराखंड आई थी।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अनुसूचित जाति का निर्धारण किसी राज्य के भीतर उस क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों के आधार पर किया जाता है, जहां वे रहते हैं। विवाह के बाद निवास बदलने से किसी व्यक्ति का मूल जातिगत दर्जा तो नहीं बदलता, लेकिन वे नए राज्य में आरक्षण के उद्देश्य से वहां की अनुसूचित जातियों की सूची में स्वतः शामिल नहीं हो सकते, जब तक कि उस राज्य के संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश में विशेष प्रावधान न हो।
इस फैसले का सीधा असर उन महिलाओं पर पड़ेगा जो अन्य राज्यों से शादी करके उत्तराखंड आई हैं और यहां आरक्षण का लाभ लेने की उम्मीद कर रही थीं। उच्च न्यायालय के इस निर्णय ने राज्य में अनुसूचित जाति के आरक्षण पात्रता मानदंडों पर स्थिति साफ कर दी है।

