अंतरिक्ष में भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि, चंदा मामा के पास पहुँची धरती मां की राखी।

   


All India tv news ।

 आज भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नया कारनामा इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया है।

भारत का चद्रंयान-3 ने चद्रंमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैड़िग कर ली है। ये कारनामा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन चुका है, जिसने चद्रंमा के साउथ पोल पर साफ्ट लैड़िग की है। लैंडिंग के समय सभी वैज्ञानिकों के साथ- साथ सभी देशवासियों की सांसे थम सी गई थी और जैसे ही सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग हुई तो सभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और समस्त देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने बधाई संदेश देते हुए कहा कि ये क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है, साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में ये भी कहा कि पहले कहा जाता था "चदां मामा दूर के", लेकिन अब कहा जायेगा  "चदां मामा टूर के"। इस मिशन की लागत लगभग 615 करोड़ रुपये बताई जा रही है। 


इस मिशन पर इसरो के साढ़े सोलह हजार वैज्ञानिक पिछले चार साल से मेहनत कर रहे थे और आज उनकी मेहनत रंग लाई है। सभी देशवासियों की तरफ से उन सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी जा रही है। इस सफलता के लिए आज पूरे देश में उत्साह का माहौल है। सभी देशवासी एक दूसरे को व्यक्तिगत तौर पर व सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दे रहे हैं। 


ऑल इंडिया टीवी न्यूज की तरफ से देश के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, इसरो के सभी वैज्ञानिकों एवं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई। 





विक्रम लैंडर की लैंडिंग की प्रक्रिया निम्नवत रही:-

# विक्रम लैंडर ने 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की।

# अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे। अर्थात 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक। 

# 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी।

# 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई। 

# 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे। 

# 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी। अर्थात 800 मीटर से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच। 

# 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी। अर्थात 150 मीटर से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच। 

# 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी। 

# चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी।


जानिए विक्रम लैंडर पर लगे चार पेलोड्स के काम :–

1. चास्टे (CHASTE)~यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा। 

2. इल्सा (ILSA)~यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा। 

3. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) ~यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा। 

4. रंभा (RAMBHA)~यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा । 

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