गणेश चतुर्थी का महत्व, व्रत पूजन और विसर्जन।


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गणेश चतुर्थी एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाता है। यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है और इस दौरान भगवान गणेश के भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। लोकप्रिय मान्यता है कि इन 10 दिनों में भगवान गणेश अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।


गणेश चतुर्थी की प्रमुख बातें :-


भगवान गणेश का जन्मोत्सव : गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है।



सामुदायिक और सामाजिक उत्सव : यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और सद्भाव को बढ़ावा देता है।



10 दिनों की पूजा और अनुष्ठान :–

भक्त इन 10 दिनों में भगवान गणेश की पूजा करते हैं और विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।

विसर्जन :–

 दसवें दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है, जो इस त्योहार का समापन होता है।



गणेश चतुर्थी न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाता है।


हाथी का सिर और गणेश का पुनर्जन्म

माता पार्वती अपने पुत्र के वियोग में शोकग्रस्त हुईं और उन्होंने सृष्टि के विनाश की बात कही, तब देवताओं ने शिव से आग्रह किया कि गणेश को पुनर्जीवित करें. समाधान स्वरूप शिवजी ने गणेश को हाथी का सिर प्रदान किया और उन्हें ‘अविघ्नकर्ता’ यानी विघ्नहर्ता का आशीर्वाद दिया। इसी घटना से भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव बने।


व्रत और पूजन की परंपरा:–

गणेश चतुर्थी पर घरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस दिन गणपति को मोदक, दूर्वा और लड्डू अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे गणेश जी प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं, खास बात यह भी है कि गणेश पूजन में सबसे पहले ‘संकल्प’ और ‘अवघनमंत्र’ का जाप किया जाता है, जिससे जीवन से संकट दूर होते हैं।


ऐतिहासिक पहलू:–

इतिहास में गणेश चतुर्थी को समाजिक एकता का पर्व भी माना गया. छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसे राजकीय स्तर पर मनाना शुरू किया था. बाद में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने आज़ादी के आंदोलन के दौरान इसे जन-जन का उत्सव बना दिया. सार्वजनिक पंडालों में गणपति स्थापना से लोगों में एकता और देशभक्ति की भावना जगी।


आध्यात्मिक महत्व:–

गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.गणपति जी बुद्धि, विवेक और समृद्धि के देवता माने जाते हैं. माना जाता है कि उनकी पूजा से विघ्न दूर होते हैं और नए कार्यों की शुरुआत शुभ फलदायी होती है. यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की वंदना की जाती है।


इस प्रकार गणेश चतुर्थी की असली कहानी माता पार्वती के स्नेह, शिवजी की कृपा और गणपति के विघ्नहर्ता स्वरूप से जुड़ी है. यह पर्व हमें जीवन में श्रद्धा, संयम और एकता का संदेश देता है।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, ऑल इंडिया टीवी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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