All India tv news। आज हम आपको देवभूमि की एक ऐसी बहादुर बेटी की कहानी बताएंगे, जिसने साबित कर दिया कि साहस उम्र का मोहताज नहीं होता। यह कहानी है चमोली की रहने वाली 13 वर्षीय दिव्या की, जिसने अपनी जान की परवाह न करते हुए, दो खूंखार जंगली भालुओं के चंगुल से एक मासूम बच्चे और स्कूल के अन्य विद्यार्थियों की जान बचाई।
यह हैरान कर देने वाली घटना उत्तराखंड के चमोली ज़िले की है। कक्षा 8 की छात्रा दिव्या ने उस समय अदम्य साहस का परिचय दिया, जब स्कूल के पास अचानक दो जंगली भालू आ गए। कक्षा 6 में पढ़ने वाला आरव, जो स्कूल परिसर में था, भालुओं को देखकर बुरी तरह घबरा गया। यह वह क्षण था जब किसी भी बच्चे का डरना स्वाभाविक था, लेकिन दिव्या ने डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में, दिव्या ने अदम्य साहस और समझदारी का परिचय दिया। उन्होंने न केवल आरव को सुरक्षित जगह तक पहुँचाया, बल्कि स्कूल के अन्य बच्चों को भी एक कमरे में सुरक्षित बंद कर दिया, इस प्रकार कई अनमोल जीवन बचा लिए। दिव्या की त्वरित प्रतिक्रिया और बहादुरी ने सभी को हैरत में डाल दिया।
दिव्या का यह कार्य उत्तराखंड की उस गौरवशाली परंपरा को दर्शाता है जहाँ विपरीत परिस्थितियों में भी साहस का परिचय दिया जाता है। स्थानीय समुदाय और विभिन्न संगठनों ने दिव्या की इस असाधारण वीरता की सराहना की है और सरकार से उन्हें सम्मानित करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी बहादुरी से अन्य बच्चे भी प्रेरित हो सकें।
हालांकि, इस घटना ने एक महत्वपूर्ण चिंता को भी उजागर किया है—आबादी वाले क्षेत्रों में जंगली जानवरों का बढ़ता दखल। इस घटना के बाद, लोगों की यह मांग और भी प्रबल हो गई है कि सरकार और प्रशासन को मानव-वन्यजीव संघर्ष (human-wildlife conflict) को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देते हुए ऐसे निर्णय लिए जाने चाहिए जो भविष्य में ऐसी खतरनाक स्थितियों से बचा सकें।
दिव्या ने अपनी बहादुरी से जो मिसाल कायम की है, वह अविस्मरणीय है। उम्मीद है कि उनकी इस वीरता से प्रेरणा मिलेगी और प्रशासन इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक सुरक्षात्मक कदम उठाएगा।




